नाम : कनिष्क कटारिया रैंक : 01, सीएसई-2018
Kanishak kataria Air Rank 1 UPSC CSE 2018
“अपने इस पूरे सफर के दौरान आशावादी बने रहें और खुद पर भरोसा बनाए रखें
मेरी सफलता के आधार हैं- आशावादी दृष्टिकोण, कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास"
वैकल्पिक विषय
गणित
परीक्षा का माध्यम
अंग्रेजी
निवासी
जयपुर, राजस्थानप्राप्तांक
प्रीलिम्स (प्रारंभिक परीक्षा) : पेपर-1:-106
पेपर-2:-147.5
मेन्स (मुख्य परीक्षा)
निबंध (पेपर 1):- 133
जनरल स्टडीज (सामान्य अध्ययन )-1 (पेपर II) : 98
जनरल स्टडीज- II ( पेपर III) : 117
जनरल स्टडीज-III ( पेपर IV): 117
जनरल स्टडीज- IV (पेपर V) 116
वैकल्पिक विषय 1 (गणित) (पेपर VI) : 170
वैकल्पिक विषय-II (गणित) (पेपर VII) : 191
लिखित परीक्षा में प्राप्तांक - 942 कुल अंक : 1121
इंटरव्यू 179
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सिविल सेवा की यात्रा
- मेरी स्कूली शिक्षा ज्यादातर राजस्थान के कोटा शहर में हुई है, जो अपनी आई.आई.टी. और एन.ई.ई.टी. (फिर पी.एम.टी.) कोचिंग के लिए जाना जाता है। मैं गणित में बहुत अच्छा था और विज्ञान की तरफ भी मेरा काफी झुकाव था, लिहाजा स्नातक ( ग्रेजुएशन) करने के लिए इंजीनियरिंग (और आई.आई.टी.) की तरफ मेरा झुकाव होना लाजमी था।
- 2010 में मैंने आई.आई.टी.जे.ई.ई. की परीक्षा दी। मेरा ऑल इंडिया रैंक 44 रहा। मैंने आई.आई.टी. बॉम्बे को चुना जिसकी वजह थी, यहाँ कैरियर से जुड़े बहुत सारे विकल्प मौजूद होना। कंप्यूटर साइंस को मैंने अपनी ब्रांच के रूप में चुना, क्योंकि इस विषय में मेरी काफी दिलचस्पी थी, साथ ही इस सेक्टर में ढेरों अवसर भी मौजूद थे।
- बचपन में ही मेरे पिताजी ने मुझे सुझाव दिया था कि मुझे सिविल सर्विसेज में अपना कैरियर बनाने के बारे में सोचना चाहिए। वर्ष 2014 में मेरी ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने मुझे दोबारा यू.पी.एस.सी. की परीक्षा में बैठने को कहा। हालाँकि, मैं अपनी जिंदगी का इतना अहम फैसला लेने से पहले कई दूसरे मौकों को भी टटोलना चाहता था। मेरे पास दक्षिण कोरिया से सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स में नौकरी का प्रस्ताव था। यह मेरे लिए भारत से बाहर नए अनुभव प्राप्त करने का एक सुनहरा मौका था। इसके अलावा, मुझे निजी क्षेत्र को समझने-बूझने का एक अच्छा मौका भी मिल रहा था, जिसे मैंने स्वीकार कर लिया।
- 2016 में मैं वापस भारत लौट आया और बेंगलुरु की एक निजी कंपनी में काम करने लगा। हालाँकि, मेरे दिमाग में एक विकल्प के रूप में यू.पी.एस.सी. कहीं-न-कहीं हमेशा से ही मँडराता रहा था, लेकिन इस दौरान (सितंबर 2014 अप्रैल 2016) मैंने कभी भी इसके बारे में गंभीरता से विचार नहीं किया।
- बेंगलुरु में 7-8 महीने बिताने के बाद मैंने अपने कैरियर के बारे में ज्यादा गंभीरता से विचार करना शुरू किया। भारत के अंदर और बाहर अपनी जिंदगी में फर्क करने के बाद मैंने महसूस किया कि अपने देश में अभी काफी कुछ करने की जरूरत है और व्यक्तिगत तौर पर मैं भी इसमें अपना योगदान दे सकता हूँ।
- मैंने अपने पिता को काम करते हुए देखा था, इसलिए मैं इस बात से अच्छी तरह वाकिफ था कि अगर मैं सिविल सर्विसेज से जुड़ता हूँ, तो ज्यादा असरदार ढंग से काम कर सकता हूँ। इस सेवा के तहत न केवल आपको अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने का मौका मिलता है, बल्कि अपने काम से काफी संतुष्टि भी मिलती है।
- मैंने अपनी जैसी पृष्ठभूमि वाले कुछ अधिकारियों से प्रशासनिक सेवा से जुड़े उनके अनुभवों पर चर्चा की और यह भी जानना चाहा कि क्या ये मेरे लिए एक बेहतर कैरियर हो सकता है? मुझे कुछ महीनों तक अमेरिका में भी काम करने का मौका मिला। अप्रैल 2017 में मुझे वहाँ के एक विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश की भी अनुमति मिल गई। विदेशों में मेरे अनुभवों से मेरे दिमाग में यह बात साफ हो गई थी कि मैं भारत में ही रहना और काम करना चाहता हूँ। आधे-अधूरे दिल से तैयारी करने की बजाय पहले मैंने अपने दिमाग में यह बात साफ की कि आखिर मैं यू.पी.एस.ई. की तैयारी क्यों करना चाहता हूँ। करीब 5-6 महीने सोच-विचार करने के बाद मैंने आखिरकार यू.पी.एस.ई. की तैयारी करने का फैसला लिया।
- मैंने यू.पी.एस.सी. से जुड़ी अनिश्चितताओं और मुश्किलों के बारे में सुना हुआ था। मैं इस बात से भी वाकिफ था कि मुझे पढ़ाई, खास तौर पर मानविकी (ह्यूमैनिटीज) विषय छोड़े हुए काफी समय हो चुका है और मैं अपने आपको किस तरह की चुनौती की तरफ धकेल रहा हूँ। हालाँकि यह बात मेरे दिमाग में एकदम साफ थी कि मैं यू.पी.एस.सी. की परीक्षा में क्यों बैठना चाहता हूँ, इसलिए यह चुनौती बहुत ज्यादा बड़ी नहीं लगी। बल्कि, मैं तो इतिहास और राजनीति शास्त्र जैसे विषयों के बारे में और ज्यादा जानने के लिए बहुत उत्साहित था। इसके अलावा मैंने यह फैसला भी किया कि मैं केवल दो बार ही यू.पी.एस.सी. में चुने जाने के लिए कोशिश करूँगा। अगर मुझे इस परीक्षा में सफल होना होगा तो मैं दो प्रयासों में सफल हो जाऊँगा और नहीं होना होगा तो आगे भी नहीं हो पाऊँगा और मुझे अपनी कोशिशों पर विराम लगाना होगा।
- यू.पी.एस.सी. की तैयारी में पूरी तरह फोकस करने के लिए मई 2017 में मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी। मैं जयपुर आ गया और इस परीक्षा से जुड़े तमाम पहलुओं को तह से जानने की कोशिश करने लगा, मसलन मुझे इस परीक्षा की तैयारी किस तरह करनी है, इसमें सफलता के लिए क्या कुछ करना चाहिए। इन सवालों के जवाब जानने के लिए मैंने यू.पी.एस.सी. के कुछ टॉपर्स के ब्लॉग्स भी पढ़े और फिर वर्ष 2018 में प्रीलिम्स देने का लक्ष्य बनाया।
- सबसे पहले मैंने अपने वैकल्पिक (ऑप्शनल) विषय को अंतिम रूप दिया, क्योंकि कई टॉपर्स ने इसकी अहमियत पर काफी जोर दिया था। मैंने अपनी ताकत, यानी गणित विषय को अपना वैकल्पिक विषय बनाया और यह फैसला किया कि मेरी तैयारी के दौरान यह मेरा सबसे प्रमुख हथियार (या एक्स फैक्टर) होगा। थोड़ा-बहुत शोध करके मैंने गणित में 350 से ज्यादा नंबर लाने का लक्ष्य बनाया। मुझे पता था कि अगर मैंऑप्शनल में 350 से ज्यादा नंबर हासिल कर लूं तो आसानी से आई.ए.एस. निकाल सकता हूँ।
- इस बीच मैं अपने आई.आई.टी. बॉम्बे के कुछ ऐसे सहपाठियों के संपर्क में भी रहा, जो यू.पी.एस.सी. की तैयारी कर रहे थे। शुरुआत में यू.पी.एस.सी. की तैयारी के लिए नई दिल्ली आने को लेकर मेरे मन में थोड़ी हिचक थी (क्योंकि मैं अपने घर के आरामदायक माहौल में अकेला पढ़ना चाहता था)। लेकिन आखिरकार, अपने दोस्तों के साथ मैंने नई दिल्ली आने का फैसला किया और अपनी तैयारी को सही दिशा देने के लिए कोचिंग लेनी भी शुरू कर दी। मेरे दिमाग में एक बात बिलकुल साफ थी कि मुझे यू.पी.एस.सी. के लिए केवल दो बार ही कोशिश करनी है। मैंने अपनी पहली ही कोशिश में सफलता पाने के लिए जितना संभव हो सकता था, प्रयास करने शुरू कर दिए।
- जून 2017 में दिल्ली आया और वजीराम एंड रवि कोचिंग से प्रीलिम्स और मेन्स के लिए साल भर चलनेवाली जी.एस. कोचिंग लेना शुरू कर दिया। गणित की कोचिंग के लिए मैने आई.एम.एस. कोचिंग को चुना।
- शुरुआती चार महीनों में मेरा पूरा ध्यान वैकल्पिक विषय के पाठ्यक्रम (सिलेबस) को खत्म करने में रहा। इसके अलावा जी.एस. को ज्यादा-से-ज्यादा कवर करने और अखबारों में रोजमर्रा की घटनाओं को पढ़ने पर भी मैंने काफी जोर दिया। अक्तूबर 2017 तक, मैंने अपने वैकल्पिक विषय का 90 फीसदी पाठ्यक्रम पूरा कर लिया था। इसके बाद मैं पूरी तरह से जी.एस. की तैयारी में जुट गया।
- मैंने जी.एस. की तैयारी हमेशा मेन्स को ध्यान में रखते हुए की। मैंने सिलेबस पढ़ा और बीते वर्षों के सवालों को देखा। इसके बाद मैंने हर विषय के लिए एन.सी.ई.आर.टी. उस विषय से जुड़ी एक मूलभूत किताब और कोचिंग के नोट्स जैसे कम-से-कम स्टडी मैटेरियल का इस्तेमाल कर अपनी तैयारी शुरू की। करीब ढाई महीने तक मैंने अपना पूरा ध्यान केवल जी. एस. और करंट अफेयर्स पर लगाया।
- जनवरी और फरवरी 2018 में प्रीलिम्स की तैयारी में पूरी तरह जुटने से पहले मैंने दोबारा अपने वैकल्पिक विषय यानी गणित को एक बार फिर दोहराने का फैसला किया। इसके बाद मार्च 2018 से मैंने प्रीलिम्स की तैयारी शुरू कर दी।
- कोचिंग पूरी होने के बाद यानी अप्रैल 2018 में अपने आप पढ़ने के लिए मैं वापस अपने घर जयपुर चला आया। मार्च से मई 2018 के बीच मैंने पूरी तरह से 3 जून, 2018 को होनेवाले प्रीलिम्स की तैयारी की।
- प्रीलिम्स के बाद मैंने एक हफ्ते तक आराम किया और फिर मेन्स की तैयारी शुरू कर दी। जब तक प्रीलिम्स का नतीजा नहीं आया, तब तक यानी पूरे एक महीने मैंने अपना पूरा ध्यान वैकल्पिक विषय को दोहराने पर लगाया। साथ ही अपने उत्तर लिखने की कला को और संवारा। मैं जानता था कि चाहे में प्रीलिम्स पास करूं या न करूं,लेकिन पूरी तैयारी के लिए यह चरण बहुत महत्त्वपूर्ण है। मैंने अपनी कोशिशों को और ज्यादा बढ़ाने पर भी ध्यान लगाया।
- प्रीलिम्स का नतीजा आने के बाद मैंने अपने जी.एस. विषयों को दोहराना शुरू कर दिया और एक टेस्ट श्रृंखला (8 बहुत लंबी परीक्षा) की मैंने पढ़ने के लिए नई किताबों वगैरह पर ध्यान लगाने की बजाय पुरानी किताबों में पढ़ी बातों को दोहराने पर ही फोकस किया।
- 7 अक्तूबर, 2018 को मेन्स खत्म हुए और मैंने एक महीने आराम करने का फैसला किया। हालांकि मेरी नजर अखबारों में छपनेवाली रोजमर्रा की घटनाओं पर लगातार बनी हुई थी। जी.एस. परीक्षा के बाद अपने प्रदर्शन और नतीजे को लेकर मेरे अंदर बहुत ज्यादा आत्मविश्वास नहीं था। लेकिन मैं जानता था कि वैकल्पिक विषय मेरा एक्स फैक्टर है और मेन्स में मेरा यह पेपर अच्छा गया है, इसलिए कहीं-न-कहीं थोड़ी बहुत उम्मीद तो जरूर थी। इसलिए कुल मिलाकर मेन्स के नतीजे को लेकर मेरे मन में कहीं-न-कहीं कुछ आशा तो थी ही।
- 20 दिसंबर, 2018 को मेन्स का नतीजा आने के बाद मैंने इंटरव्यू की तैयारी शुरू कर दी। मैंने इसकी तैयारी के लिए कुछ झूठ-मूठ के रचे हुए इंटरव्यू (मॉक इंटरव्यू) भी दिए और डी. ए. एफ. की पूरी तरह से तैयारी की।
- मेरा इंटरव्यू 6 मार्च, 2019 को था। इंटरव्यू के बाद, हालाँकि मैंने 2019 के प्रीलिम्स की तैयारी पर फोकस करने की कोशिश की, लेकिन मैं अंतिम नतीजों को लेकर उत्साहित और बेचैन था लिहाजा उस तरफ पूरा फोकस नहीं कर पाया। मेरे मन में मिले-जुले खयाल आ रहे थे, जैसे-क्या हो अगर सबकुछ मेरी सोच के मुताबिक हो . और मैं इस परीक्षा में सफल हो जाऊं; लेकिन दूसरी तरफ मैं अपने जी.एस. के नंबरों को लेकर आश्वस्त नहीं था। मैंने पहली बार मेन्स दिया था और मुझे इस बात का एकदम अंदाज नहीं था कि जी.एस. के सब्जेक्टिव (व्यक्तिपरक) होने के कारण मुझे इस विषय में कितने नंबर मिल सकते हैं।
- 5 अप्रैल, 2019 को यू.पी.एस.सी. 2018 के अंतिम नतीजे निकले और मैं यह देखकर भौंचक्का और थोड़ा-बहुत तनाव मुक्त भी हुआ कि मैंने पहली ही कोशिश में आई.ए. एस. की परीक्षा पास कर ली है। पहला ऑल इंडिया रैंक पाना तो मेरे लिए सोने पर सुहागा था। ईमानदारी से कहूँ तो मुझे अब तक इस उपलब्धि की अहमियत का बोध ही नहीं हो पाया है। मैं तो इस बात से ही खुश हूँ कि यह मेरी डेढ़ साल की तपस्या का फल है। इस एहसास से मेरे अंदर खुशी की एक लहर दौड़ती है कि मैं अपने पहले प्रयास में ही अपना सपना सच कर पाया।
- इस परीक्षा के नतीजे ने मुझे दिखा दिया कि अगर आप लगातार कड़ी मेहनत करें, प्रबल इच्छा-शक्ति रखें और आपके हौसले बुलंद हों तो सब खुद-ब-खुद ठीक होता चला जाता है। भले ही इस परीक्षा को सबसे मुश्किल परीक्षाओं में एक माना जाता है, खासतौर पर अगर आप पहली बार यह परीक्षा दे रहे हों, लेकिन असंभव कुछ भी नहीं है। और केवल मैं ही नहीं, कई दूसरे उम्मीदवार भी हैं, जिन्होंने पहली ही कोशिश में इस परीक्षा को पास करके दिखाया।
- उम्मीद है कि आनेवाले वर्षों में ज्यादा से ज्यादा परीक्षार्थी अपनी शुरुआती कोशिशों मेंही इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करके अपने सपने को पूरा करेंगे।
- पिछले कुछ महीने मेरे लिए काफी आरामदायक रहे हैं। मैंने परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले खुद से वादा किया था कि मैं एक महीने इधर-उधर घूमने जाऊँगा, जिसे मैंने पूरा किया। इसके बाद से मैं बस घर पर ही आराम फरमा रहा हूँ। मैं एल. बी. एस. एन.ए.ए. में ट्रेनिंग के शुरू होने का इंतजार कर रहा हूँ। ईमानदारी से कहूँ तो मैंने पिछले टॉपर्स की अकादमी और ट्रेनिंग की ज्यादा तसवीरें नहीं देखी हैं। मैं एल. बी. एस. एन.ए.ए. में अपनी ट्रेनिंग के अनुभव को पूरी तरह नया और तरोताजा रखना चाहता हूँ और यही बात है जो इस ट्रेनिंग सेंटर के बारे में मुझे सबसे ज्यादा उत्साहित करती है।
- भविष्य में मुझे कुछ नए और चुनौतीपूर्ण कामों की शुरुआत करनी है। मुझे उम्मीद है। कि मैं एक बेहतरीन ट्रेनिंग प्रक्रिया से होकर गुजरने के बाद अपना काम शुरू करूँगा। उम्मीद करता हूँ कि मैं इस परीक्षा में भी सफल होकर दिखाऊंगा और बतौर प्रशासक हर किसी की उम्मीदों पर खरा उतरूंगा, फिर चाहे वो मैं खुद हूँ, मेरे माता-पिता हों या फिर परिवार अथवा देश के लोग।
नए अभ्यर्थियों के लिए संदेश
- आपने इस परीक्षा की तैयारी के लिए बहुत-सी कुर्बानियां दी हैं। दूसरों से न सही, पर खुद से सच बोलिए और हमेशा यह बात याद रखिए कि आप सिविल सर्विस में आखिर क्यों आना चाहते हैं। विषय के ज्ञान से ज्यादा यू.पी.एस.सी. उम्मीदवारों की मानसिक स्थिति और भावनाओं को ज्यादा जांचता है। अगर आपके दिमाग में कोई भ्रम नहीं है तो आपको यू.पी.एस.सी. की परीक्षा पास करने से कोई नहीं रोक सकता।
- डराने और अफवाहें फैलानेवालों के जाल में न फंसें खुद पर और अपनी मेहनत पर यकीन करें। लोग काफी कुछ कहेंगे, मसलन यह परीक्षा पहले प्रयास में नहीं निकाली जा सकती। लेकिन याद रखिए कि ऐसे लोग केवल आपका मनोबल तोड़ना चाहते हैं। इस परीक्षा को पहले ही प्रयास में निकालना एकदम मुमकिन है। आपको अपनी पढ़ाई के लिए सही रणनीति बनाने के साथ-साथ थोड़ा होशियार होने की जरूरत है। निश्चित तौर पर थोड़ा-बहुत खेल तो किस्मत का भी होता है, लेकिन किस्मत भी तभी आपका साथ देगी, जब आपने कड़ी मेहनत की हो।
- निरंतर प्रयास करते रहें और उनकी तेजी बनाए रखें। शुरुआत और आखिरी के चार महीनों में खूब मेहनत करें। बीच के समय के लिए अपनी ऊर्जा बचाकर रखें। इसे एक मैराथन दौड़ की तरह देखें। अगर आपने शुरुआत के चार महीनों में अच्छी तैयारी कर ली और अपने वैकल्पिक विषय का सिलेबस जल्दी खत्म कर दिया तो आप मेन्स की तैयारी करने के लिए पूरी तरह तैयार होंगे।
- नई दिल्ली जाने या फिर कोचिंग करने से नहीं घबराएं। आज के जमाने में पढ़ने के लिए जरूरी तमाम चीजें ऑनलाइन मौजूद हैं। अगर आप अपने घर के आरामदायक माहौल में ही अच्छी तरह पड़ सकते हैं तो यकीन मानिए, तैयारी के लिए इससे अच्छी जगह हो ही नहीं सकती।
- अपने संसाधनों और आदतों को लेकर निष्ठुर बनिए। अगर कोई रणनीति काम नहीं कर रही तो उसे छोड़ दें। और अगर कोई तरीका आपके हित में काम कर रहा है तो उसे बार-बार दोहराएँ। भावुक बनें और व्यावहारिक ज्यादा।
- किसी से प्रतिस्पर्धा न करें, आपकी प्रतिस्पर्धा खुद से है। अगर आप हर दिन खुद में सुधार ला पा रहे हैं और खुद के लिए एक बेहतरीन संस्करण बन रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप सही दिशा में जा रहे हैं।
- अपनी इस यात्रा के दौरान आशावादी रहें और खुद पर यकीन रखें। मेरी सफलता के मूल मंत्र रहे- आशावाद, मेहनत और आत्मविश्वास जब कभी निराशा के पल आए. इन्हीं तीन मंत्रों ने मुझे उससे बाहर निकाला और लगातार आगे बढ़ने में मदद की। इन सूत्रों को अपना हथियार बनाएं और ऐसा करके आप खुद की सारे नकारात्मक विचारों और चुनौतियों से रक्षा कर पाएंगे।
- सबकुछ पढ़ने के चक्कर में न रहें। पहली कोशिश में आप सबकुछ पढ़ डालें। यह करीब-करीब नामुमकिन है अपने हिसाब से अपनी रणनीति बनाएं। दूसरों की नकल न करें। अगर आप किसी टॉपर को पाँच किताबें पढ़ते देखते हैं, तो आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि उसने कितनी बार यह परीक्षा दी होगी कि वह सारी किताबें पढ़ पा रहा है। एक मार्गदर्शक की जरूरत किसे नहीं होती; लेकिन ऐसे विचारों को लेकर आलोचनात्मक रहें, जो उसके खुद पर भी लागू नहीं होते।
- मैं आपसे आखिर में यही कहूँगा कि यू.पी.एस.सी. ही जीवन में सबकुछ नहीं है। बाहरी दुनिया को लेकर अपना दिमाग खोलिए और देखिए कि आपके आगे और कौन से मौके आते हैं। नतीजे पर फोकस करने की बजाय इस पूरी प्रक्रिया का लुत्फ उठाएं। अगर आप परीक्षा पास नहीं भी कर पाते तो भी आप इससे काफी कुछ सीखेंगे और एक बेहतर इनसान बनेंगे। आज में जिए, नतीजों पर कम फोकस करें और कल के बारे में ज्यादा नहीं सोचें। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको वही नतीजा मिलेगा, जिसके आप हकदार हैं।